CrPC 1973 धारा 97, धारा 98, धारा 99, धारा 100
CrPC धारा 97- सदोष परिरुद्ध व्यक्तियों के लिए तलाशी
यदि किसी जिला मजिस्ट्रेट, उपखंड मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट को यह विश्वास करने का कारण है कि कोई व्यक्ति ऐसी परिस्थितियों में परिरुद्ध है, जिनमें वह परिरोध अपराध की कोटि में आता है, तो वह तलाशी वारंट जारी कर सकता है और वह व्यक्ति, जिसको ऐसा वारंट निर्दिष्ट किया जाता है, ऐसे परिरुद्ध व्यक्ति के लिए तलाशी ले सकता है, और ऐसी तलाशी तद्नुसार ही ली जाएगी और यदि वह व्यक्ति मिल जाए, तो उसे तुरंत मजिस्ट्रेट के समक्ष ले जाया जाएगा, जो ऐसा आदेश करेगा जैसा उस मामले की परिस्थितियों में उचित प्रतीत हो।
CrPC धारा 98- अपहृत स्त्रियों को वापस करने के लिए विवश करने की शक्ति
किसी स्त्री या अठारह वर्ष से कम आयु की किसी बालिका के किसी विधिविरुद्ध प्रयोजन के लिए अपहृत किए जाने या विधिविरुद्ध निरुद्ध रखे जाने का शपथ पर परिवाद किए जाने की दशा में जिला मजिस्ट्रेट, उपखंड मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट यह आदेश कर सकता है कि उस स्त्री को तुरंत स्वतंत्र किया जाए या वह बालिका उसके पति, माता-पिता, संरक्षक या अन्य व्यक्ति को, जो उस बालिका का विधिपूर्ण भारसाधक है, तुरंत वापस कर दी जाए और ऐसे आदेश का अनुपालन ऐसे बल के प्रयोग द्वारा, जैसा आवश्यक हो, करा सकता है।
CrPC धारा 99- तलाशी वारंटों का निदेशन आदि
धारा 38 (पुलिस से भिन्न व्यक्ति), धारा 70 (गिरफ्तारी वारंट का प्रारूप और अवधि), धारा 72 (वारंट किसे निर्दिष्ट होगा), धारा 74 ( पुलिस अधिकारी को निदिष्ट वारंट), धारा 77 (वारंट कहाँ निष्पादित किया जा सकता है), धारा 78 (अधिकारिता के बाहर निष्पादन भेजा गया वारंट) और धारा 79 अधिकारिता के बाहर निष्पादन के लिए पुलिस अधिकारी को निर्दिष्ट वारंट) के उपबंध जहां तक हो सके, उन सब तलाशी वारंटों को लागू होंगे जो धारा 93 (तलाशी वारंट कब जारी किया जा सकता है), धारा 94 (स्थान की तलाशी जिसमें चुराई हुई संपत्ति या दस्तावेज़ हैं), धारा 95 (प्रकाशन को जप्त करने और ढूढ़ने के लिए तलाशी वारंट) या धारा 97 (सदोष परिरुद्ध व्यक्तियों के लिए तलाशी के अधीन किए जाते हैं।
100- बंद स्थान के भारसाधक व्यक्ति तलाशी लेने देंगे
(1) जब कभी इस अध्याय के अधीन तलाशी लिए जाने या निरीक्षण किए जाने वाला कोई स्थान बंद है तब उस स्थान में निवास करने वाला या उसका भारसाधक व्यक्ति उस अधिकारी या अन्य व्यक्ति की, जो वारंट का निष्पादन कर रहा है, मांग पर और वारंट के पेश किए जाने पर उसे उसमें अबाध प्रवेश करने देगा और यहां तलाशी लेने के लिए सब उचित सुविधाएं देगा |
(2) यदि उस स्थान में इस प्रकार प्रवेश प्राप्त नहीं हो सकता है तो वह अधिकारी या अन्य व्यक्ति, जो वारंट का निष्पादन कर रहा है धारा 47 की उपधारा (2) (गिरफ्तार करने के लिए बिना अनुमति घर में प्रवेश कर जाना किन्तु स्त्री का ध्यान रखते हुये) द्वारा उपबंधित रीति से कार्यवाही कर सकेगा।
(3) जहां किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में, जो ऐसे स्थान में या उसके आसपास है, उचित रूप से यह संदेह किया जाता है कि वह अपने शरीर पर कोई ऐसी वस्तु छिपाए हुए है जिसके लिए तलाशी ली जानी चाहिए तो उस व्यक्ति की तलाशी ली जा सकती है और यदि वह व्यक्ति स्त्री है, तो तलाशी शिष्टता का पूर्ण ध्यान रखते हुए अन्य स्त्री द्वारा ली जाएगी।
(4) इस अध्याय के अधीन तलाशी लेने के पूर्व ऐसा अधिकारी या अन्य व्यक्ति, जब तलाशी लेने ही वाला हो, तलाशी में हाजिर रहने और उसके साक्षी बनने के लिए उस मुहले के. जिसमें तलाशी लिया जाने वाला स्थान है, दो या अधिक स्वतंत्र और प्रतिष्ठित निवासियों को या यदि उक्त मुहले का ऐसा कोई निवासी नहीं मिलता है या उस तलाशी का साक्षी होने के लिए रजामंद नहीं है तो किसी अन्य मुहले के ऐसे निवासियों को बुलाएगा और उनको या उनमें से किसी को ऐसा करने के लिए लिखित आदेश जारी कर सकेगा।
(5) तलाशी उनकी उपस्थिति में ली जाएगी और ऐसी तलाशी के अनुक्रम में अभिगृहीत सब चीजों की और जिन-जिन स्थानों में वे पाई गई है उनकी सूची ऐसे अधिकारी या अन्य व्यक्ति द्वारा तैयार की जाएगी और ऐसे साक्षियों द्वारा उस पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, किंतु इस धारा के अधीन तलाशी के साक्षी बनने वाले किसी व्यक्ति से तलाशी के साक्षी के रूप में न्यायालय में हाजिर होने की अपेक्षा उस दशा में ही की जाएगी जब वह न्यायालय द्वारा विशेष रूप से समन किया गया हो।
(6) तलाशी लिए जाने वाले स्थान के अधिभोगी को या उसकी ओर से किसी व्यक्ति को तलाशी के दौरान हाजिर रहने की अनुज्ञा प्रत्येक दशा में दी जाएगी और इस धारा के अधीन तैयार की गई उक्त साक्षियों द्वारा हस्ताक्षरित सूची की एक प्रतिलिपि ऐसे अधिभोगी या ऐसे व्यक्ति को परिदत्त की जाएगी।
(7) जब किसी व्यक्ति की तलाशी उपधारा (3) के अधीन ली जाती है तब कब्जे में ली गई सब चीजों की सूची तैयार की जाएगी और उसकी एक प्रतिलिपि ऐसे व्यक्ति को परिदत्त की जाएगी।
(8) कोई व्यक्ति जो इस धारा के अधीन तलाशी में हाजिर रहने और साक्षी बनने के लिए ऐसे लिखित आदेश द्वारा, जो उसे परिदत्त या निविदत्त किया गया है, बुलाए जाने पर ऐसा करने से उचित कारण के बिना इनकार या उसमें उपेक्षा करेगा, उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने भारतीय दंड संहिता की धारा 187 (कानूनी आदेश के बावजूद भी सेक सेवक की सहायता करने से मना करना) के अधीन अपराध किया है।
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