Deference Between Summon cases and  Warrant cases| समन मामले और वारंट मामले में अंतर



अंतर का आधार

समन मामला

वारंट मामला

प्रकृति के आधार पर समन और वारंट मामलो में अंतर क्या हैं?

समन मामले सामान्य प्रकृति के मामले होते हैं 

वारंट मामले गंभीर प्रकृति के मामले होते हैं  


कारावास संबधित समन और वारंट मामलो में क्या अंतर हैं ?

समन मामलों में 2 वर्ष से अधिक के लिये अभियुक्त कारावासित नहीं किया जा सकता  हैं 

वारंट मामलों में अभियुक्त  मृत्युदण्ड, आजीवन कारावास एवं 2 वर्ष से अधिक कारावास से दण्डनीय हो सकता है। 


प्रक्रिया संबधित समन और वारंट मामलो में क्या अंतर हैं ?

 समन मामलों में अभियुक्त के विचारण में संक्षिप्त प्रक्रिया अपनाई जाती हैं 

वारंट मामलो में अभियुक्त के विचरण में संक्षिप्त प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती हैं  


आदेश संबधित समन और वारंट मामलो में क्या अंतर हैं ?

समन मामले में अभियुक्त को या तो दोषमुक्त या दोषसिद्ध किया जा सकता है। 

वारंट मामले में अभियुक्त को दोषमुक्त या दोषसिद्ध के साथ साथ उन्मोचित भी किया जाता है

आरोप की विरचना समन और वारंट मामलो में कैसे की जाती हैं?

 समन मामले में मजिस्ट्रेट द्वारा चार्ज नहीं सुनाया जाता हैं अर्थात चार्ज की विरचना नहीं की जाती हैं 

वारंट मामले में मजिस्ट्रेट द्वारा चार्ज  सुनाया जाता हैं अर्थात चार्ज की विरचना की जाती हैं 


समन मामले और वारंट मामले प्रारम्भ कहाँ से होते हैं ?

समन मामले का प्रारम्भ  अभियुक्त के कथन से होता है यदि अभियुक्त इन्कार करता है तो अभियोजन का साक्ष्य लेना पडता है। 

वारंट मामले का प्रारम्भ अभियोजन के साक्ष्य से ही होता है। 


समन मामले और वारंट मामले में प्रतिरक्षा का अवसर  कैसे दिया जाता हैं?

समन मामले में अभियुक्त को अभियुक्त के गवाहों की प्रति परीक्षा करने का एक ही अवसर प्राप्त होता है  

वारण्ट मामले में अभियुक्त को अभियोजन के पक्ष के गवाहों की प्रतिरक्षा करने के 2 अवसर प्राप्त होते हैं। एक आरोप के पूर्व दूसरा आरोप के पश्चात् मिलता है 

दूसरे मामले में परीक्षण संबधित समन और वारंट मामलो में क्या अंतर हैं ?

समन मामले में अभियुक्त का परीक्षण किसी ऐसे मामले में भी  हो सकता है जिसका परिवाद में उल्लेख नहीं है, लेकिन स्वीकृत तथ्यों से या सिद्ध किये गये तथ्यों से स्थापित हो जाता है। 

वारण्ट मामले में अभियुक्त का परीक्षण ऐसी स्थिति में एक अन्य चार्ज का विरचन से किया जाता है। 

क्या समन मामले और वारंट मामले  पुनर्जीवन हो सकता हैं

समन मामला एक बार समाप्त हो जाता है तो उसका पुनर्जीवन नहीं हो सकता। 

वारण्ट मामला पुनर्जीवित किया जा.सकता है। यदि अभियुक्त को उन्मोचित किया गया है। 

परिवाद की वापसी समन मामले में ले सकते हैं और वारंट मामले में भी ले सकते हैं 

 समन मामले में परिवादी न्यायालय की अनुमति से परिवाद वापस ले सकता है।

वारण्ट मामले में परिवाद सामान्यतः वापस नहीं लिया केवल विशेष जाता। परिस्थितियों में ही वापस लिया जाता है।